पिता : बेटा मजाक मत करो गोली चल जाएगी और मुझको दर्द से तड़पाकर मार देगी ।
पुत्र : क्यों व्यर्थ चिंता करते हो ? किससे तुम डरते हो । गीता में लिखा है-
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः
आत्मा को ना पानी भिगो सकता है और ना ही तलवार काट सकती, ना ही आग जला सकती । किसलिए डरते हो तुम ।
पिता : बेटा! अपने भाई बहनों के बारे में तो सोच, अपनी माता के बारे में भी सोच ।
पुत्र : इस दुनिया में कोई किसी का नही होता । संसार के सारे रिश्ते स्वार्थों पर टिके है । ये भी गीता में ही लिखा है ।
पिता : बेटा मुझको मारने से तुझे क्या मिलेगा ?
बेटा : अगर इस धर्मयुद्ध में आप मारे गए तो आपको स्वर्ग प्राप्ति होगी । मुझको आपकी संपत्ति प्राप्त होगी ।
पिता : बेटा ऐसा जुर्म मत कर ।
पुत्र : पिताजी आप चिंता ना करें। जिस प्रकार आत्मा पुराने जर्जर शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करती है, उसी प्रकार आप भी पुराने जर्जर शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करने की तयारी करें ।
अलविदा ।
Moral- कलयुग की औलादों को सतयुग, त्रेतायुग या द्वापर युग की शिक्षा नहीं दे..
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