Monday, 11 July 2016

Guru ji vs pappu mahabharat funny joke

संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा = पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ.

 

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन".

 

पप्पू = राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है.😎

 

 

गुरूजी = मूर्ख, ये अर्थ नही होता है. चल इसका अर्थ बता:-

 

"बहुनि मे व्यतीतानि, जन्मानि तव चार्जुन."

 

पप्पू = मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं, सभी का जन्म चार जून को हुआ है.😬😑

 

गुरूजी गुस्सा हो गये फिर पुछा :-

"तमसो मा ज्योतिर्गमय"

 

पप्पु= तुम सो जाओ माँ मैं ज्योति से मिलने जाता हुँ.

 

गुरूजी = अरे गधे, संस्कृत पढता है कि घास चरता है. अब इसका अर्थ बता:-

 

"दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तू जनकात्मजा."

 

पप्पू = दक्षिण मे खडे होकर लक्ष्मण बोला जनक आजकल तो तू बहुत मजे मे है.

 

गुरूजी = अरे पागल, तुझे १ भी श्लोक का अर्थ नही मालूम है क्या ?

 

पप्पू = मालूम है ना.

 

गूरूजी = तो आखरी बार पूछता हूँ इस श्लोक का सही सही अर्थ बताना.-

 

हे पार्थ त्वया चापि मम चापि.......! क्या अर्थ है जल्दी से बता.

 

पप्पू = महाभारत के युद्ध मे श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कह रहे हैं कि........

 

गुरूजी उत्साहित होकर बीच मे ही कहते हैं = हाँ, शाबास, बता क्या कहा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से........?

 

पप्पू =

 

भगवान बोले = अर्जुन तू भी चाय पी ले, मैं भी चाय पी लेता हूँ. फिर युद्ध करेंगे.

 

गुरूजी बेहोश..............

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